Sunday, November 14, 2021
धर्म
1 . धर्म क्या है ?
मेरे विचार से "धर्म" एक दिशानिर्देश है जीवन के लिए । ये दिशानिर्देश, मनुष्य के जीवनकाल में उसके कर्म को परिभाषित करते हैं।
2 . धर्म का पालन कैसे करें?
ये हमारे कर्म को दिशा देते हैं । हमारी जीवनशैली , जो हमें धर्म के मार्ग पर रखेगें। हिन्दू शास्त्रों में कर्म को प्रधान माना गया है। लेकिन कर्म को धर्म के दिशानिर्देश का पालन करते हुए संपन्न करना होता है ।
हिन्दू धर्म में इसकी परिभाषा एकल नहीं मानी जाती है। भिन्न-भिन्न काल में ज्ञानियों, मुनि और ऋषियो ने , इसमें जरूरी बदलाव किए हैं।
एक बात तो तय है कि ये बदलाव बहुत ही विरल हैं।
3. धर्म कब , कैसे और किस से खतरे में है?
हिन्दू धर्म में, धर्म का पालन निजी व्यवस्था माना गया है। लेकिन जब भी समाज में आसुरी शक्तियों का बहुमत या वर्चस्व बढ़ने लगे तो धर्म खतरे में हो सकता है।
यहां "आसुरी शक्तियों " से मतलब ऐसे विचारों या कर्मों से है जो धर्म के पालन में व्यवधान डालें।
4 . धर्म की रक्षा कौन और कैसे करें?
अपने धर्म की रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है।
परंतु उस कर्तव्य के निर्वहन के लिए कर्म को परिभाषित करते समय, धर्म का पालन अति आवश्यक है ।
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